Himalaya Parichaya (हिमालय-परिचय) by Rahul Sankrityayan Hindi ebook format
e-book name- Himalaya Parichaya (हिमालय-परिचय)
Author name- Rahul Sankrityayan
Language- Hindi
File format- PDF
PDF size- 18mb
Pages- 600
हिमालय किसको अपनी ओर आकृष्ट नहीं करता ? मेरा तो उसके प्रति आकर्षण १९१० ई०से ही हुआ, और पिछले तैतालीस वर्षोंमें उसके साथ इतना घनिष्ट संबंध हुआ, कि ‘स्वान्तः सुखाय” भी मुझे लेखनी चलानेकी जरूरत महसूस होने लगी। लिखने का मतलब ही है, और अधिक परिचय प्राप्त करना। पहले मेरा ख्याल नहीं था, कि में ‘हिमालय-परिचय”पर कलम चलाऊँगा। यदि वैसा होता, तो इस ग्रंथ (गढ़वाल) को “हिमालय-परिचय (३) -गढ़वाल” नाम देना पड़ता, क्योंकि तिब्बत-संबंधी पुस्तकोंको छोड़ देनेपर ‘किन्नर देशमें” इस विषयकी मेरी पहली पुस्तक है, और दूसरी ‘दोजिलिङ्-परिचय”। हिमालयके नेपाल, कूर्माचल कुमाऊं, केदार (गढ़वाल), जलन्धर (शिमला-कांगड़ा या हिमाचलप्रदेश), और कश्मीर ये पांच खंड संस्कृतके पुराने ग्रंथोंमें माने गये हैं। ‘कुमाऊँ” लिख लेनेपर मेरे मनमें ख्याल आया, कि ‘हिमालय-परिचय” लिख डालना चाहिए। यह प्रसन्नताकी बात है, कि नेपाल, कुमाऊँ और गढ़वाल तीनो क्रमशः ‘हिमालय-परिचय” (३),(२),(१)के रूप में लिखकर छप या प्रेसमें जा चुके। “किन्नर देशमें” को जलन्धर (हिमालय प्रदेश)का पूरा परिचय नहीं काहा जा सकता, तो भी उसके सबसे अधिक अल्प-परिचित प्रदेश-सतलजकी उपरी उपत्यका-के बारेमें उसमें काफी लिखा जा चुका है, और यदि हो सका तो अगले संस्करणमें उसे ‘हिमालय-परिचय (४)-हिमाचलप्रदेश” के नामसे परिवद्धित किया जा सकता है। तब दार्जिलिंगसे चम्बा (तिस्तासे चनाब) तकके हिमालयका परिचय पाठकोंके सामने आ जायगा। साठ सालकी उमरमें कीसी काम के लिए संकल्प करना अच्छा नहीं है। उसे तो सिर्फ हाथ में लिया जा सकता है। इसी ख्यालसे ‘हिमालय-परिचय (५)-कश्मीर”के बारेमें में संकल्प नहीं करता। इस पांचवें खंडकी ‘मेरी लदाख-यात्रा”में स्पर्श -कया गया है; किन्तु, कश्मीरके बारेमें विस्तृत लिखनेके लिए एक बार फिर वहांक़ी यात्रा (चौथी) करनी होगी, जिसके लिए मेरा स्वास्थ्य और शरीर आज्ञा नहीं देता।.. राहुल सांकृत्यायन
Hindi ebook format Himalaya Parichaya